Friday, 21 June 2013

किसान का गधा

एक दिन एक किसान का गधा कुएँ में गिर गया ।
वह गधा घंटों ज़ोर -ज़ोर से रोता रहा और किसान
सुनता रहा और विचार करता रहा कि उसे
क्या करना चाहिऐ और क्या नहीं।

अंततः उसने निर्णय
लिया कि चूंकि गधा काफी बूढा हो चूका था,
अतः बचाने से कोई लाभ होने वाला नहीं था;
और इसलिए उसे कुएँ में ही दफना देना चाहिऐ।

किसान ने अपने सभी पड़ोसियों को मदद के लिए
बुलाया।
सभी ने एक-एक फावड़ा पकड़ा और कुएँ
में मिट्टी डालनी शुरू कर दी।
जैसे ही गधे कि समझ में आया कि यह क्या हो रहा है,
वह और ज़ोर-ज़ोर से चीख़ चीख़ कर रोने लगा ।
और फिर ,
अचानक वह आश्चर्यजनक रुप से शांत हो गया।

सब लोग चुपचाप कुएँ में मिट्टी डालते रहे।
तभी किसान ने कुएँ में झाँका तो वह आश्चर्य से
सन्न रह गया।
अपनी पीठ पर पड़ने वाले हर फावड़े की मिट्टी के साथ वह गधा एक आश्चर्यजनक हरकत कर रहा था।

वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को नीचे गिरा देता था और फिर एक कदम बढ़ाकर उस पर चढ़ जाता था।

जैसे-जैसे किसान तथा उसके पड़ोसी उस पर
फावड़ों से मिट्टी गिराते वैसे -वैसे वह हिल-हिल
कर उस मिट्टी को गिरा देता और एसे सीढी ऊपर चढ़ आता ।

जल्दी ही सबको आश्चर्यचकित करते हुए वह गधा कुएँ के किनारे पर पहुंच गया और फिर
कूदकर बाहर भाग गया।

कहने का तात्पर्य हमारे जीवन में भी हम पर
बहुत तरह कि मिट्टी फेंकी जायेगी ,
बहुत तरह कि गंदगी हम पर गिरेगी।
जैसे कि , हमें आगे बढ़ने
से रोकने के लिए कोई बेकार में ही हमारी आलोचना करेगा ,
कोई हमारी सफलता से ईर्ष्या के कारण हमें बेकार में ही भला बुरा कहेगा।
कोई हमसे आगे निकलने के
लिए ऐसे रास्ते अपनाता हुआ दिखेगा जो हमारे
आदर्शों के विरुद्ध होंगे।
ऐसे में हमें हतोत्साहित
होकर कुएँ में ही नहीं पड़े रहना है
बल्कि साहस के साथ हिल-हिल कर हर तरह
कि गंदगी को गिरा देना है और उससे सीख
लेकर,
उसे सीढ़ी बनाकर,बिना अपने आदर्शों का त्याग किये अपने कदमों को आगे
बढ़ाते जाना है।

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