Saturday 8 February 2014

हवाई जाहाज

अगर आज किसी को पूछा जाये कि सबसे पहला हवाई जाहाज किसने बनाया? तो ले देके एक नाम लेते है Wright Brothers ने बनाया और उनके नाम से दर्ज है यह अविष्कार| हम बचपन से यह पड़ते आये है कि 17 दिसम्बर सन 1903 को अमेरिका के कैरोलिना के समुद्रतट पर Wright Brothers ने पहला हवाई जाहाज बना कर उड़ाया जो 120 फिट उड़ा और गिर गया| और उसके बाद फिर आगे हवाई जाहाज की कहानी शुरू होती है|

पर अभी दस्तावेज मिले है और वो यह बताते है के 1903 से कई साल पहले सन 1895 मे हमारे देश के एक बहुत बड़े विमान वैज्ञानिक ने हवाई जाहाज बनाया और मुंबई के चौपाटी की समुद्रतट पर उड़ाया और वो 1500 फिट ऊपर उड़ा और उसके बाद नीचे गिर गया|

जिस भारतीय वैज्ञानिक ने यह करामात की उनका नाम था “शिवकर बापूजी तलपडे” वे मराठी व्यक्ति थे| मुंबई मे एक छोटा सा इलाका है जिसको चिर बाज़ार कहते है, उहाँ उनका जन्म हुआ और पढाई लिखाई की एक गुरु के सान्निध्य मे रहके संस्कृत साहित्य का अध्यन किया| अध्यन करते समय उनकी विमान शास्त्र मे रूचि पैदा हो गयी| और हमारे देश मे विमान शास्त्र के जो सबसे बड़े वैज्ञानिक माने जाते है वो “महर्षि भरद्वाज” | महर्षि भरद्वाज ने विमान शास्त्र की सबसे पहली पुस्तक लिखी, उस पुस्तक के आधार पर फिर सैंकड़ो पुस्तकें लिखी गयी| भारत मे जो पुस्तक उपलब्ध है उसमे सबसे पुराणी पुस्तक 1500 साल पुराणी है और महर्षि भरद्वाज तो उसके भी बहुत साल पहले हुए|

शिवकर बापूजी तलपडे जी के हाथ मे महर्षि भरद्वाज के विमान शास्त्र पुस्तक लग गयी और इस पुस्तक को आद्योपांत उन्होंने पड़ा| इस पुस्तक के बारे मे तलपडे जी ने कुछ रोचक बातें कहीं है जैसे –
>“इस पुस्तक के आठ अध्याय मे विमान बनाने की तकनीकी का ही वर्णन है”
>“आठ अध्याय मे 100 खंड है जिसमे विमान बनाने की टेक्नोलॉजी का वर्णन है”
>“महर्षि भरद्वाज ने अपनी पूरी पुस्तक मे विमान बनाने के 500 सिद्धांत लिखे है”
एक सिद्धांत (Principle) होता है जिसमे इंजन बन जाता है और पूरा विमान बन जाता है, ऐसे 500 सिद्धांत लिखे है महर्षि भरद्वाज ने माने 500 तरह के विमान बनाये जा सकते है हर एक सिद्धांत पर| इस पुस्तक के बारे मे तलपडे जी और लिखते है के –
>“इन 500 सिद्धांतो के 3000 श्लोक है विमान शास्त्र मे”
यह तो (Technology) तकनीकी होती है इसका एक (Process) प्रक्रिया होती है, और हर एक तकनीकी के एक विशेष प्रक्रिया होती है तो महर्षि भरद्वाज ने 32 प्रक्रियाओं का वर्णन किया है| माने 32 तरह से 500 किसम के विमान बनाए जा सकते है मतलब 32 तरीके है 500 तरह के विमान बनाने के; माने एक विमान बनाने के 32 तरीके, 2 विमान बनाने के 32 तरीके; 500 विमान बनाने के 32 तरीके उस पुस्तक ‘विमान शास्त्र’ मे है| 3000 श्लोक है 100 खंड है और 8 अध्याय है| आप सोचिये यह किनता बड़ा ग्रन्थ है!

इस ग्रन्थ को शिवकर बापूजी तलपडे जी ने पढा अपनी विद्यार्थी जीवन से, और पढ पढ कर परिक्षण किये, और परिक्षण करते करते 1895 मे वो सफल हो गए और उन्होंने पहला विमान बना लिया और उसको उड़ा कर भी दिखाया| इस परिक्षण को देखने के लिए भारत के बड़े बड़े लोग गए| हमारे देश के उस समय के एक बड़े व्यक्ति हुआ करते थे ‘महादेव गोविन्द रानाडे’ जो अंग्रेजी न्याय व्यवस्था मे जज की हैसियत से काम किया करते थे मुम्बई हाई कोर्ट मे, तो रानाडे जी गए उसको देखने के लिए| बड़ोदरा के एक बड़े राजा हुअ करते थे ‘गायकोवाड’ नाम के तो वो गए उसको देखने के लिए| ऐसे बहुत से लोगों के सामने और हजारो साधारण लोगों की उपस्थिति मे शिवकर बापूजी तलपडे ने अपना विमान उड़ाया| और हैरानी की बात यह थी उस विमान को उन्होंने उड़ाया उसमे खुद नही बैठे, बिना चालक के उड़ा दिया उसको| मने उस विमान को उड़ाया होगा पर कण्ट्रोल सिस्टम तलपडे जी के हाथ मे है और विमान हवा मे उड़ रहा है और यह घटना 1895 मे हुआ| और उस विमान को उड़ाते उड़ाते 1500 फिट तक वो लेके गए फिर उसके बाद उन्होंने उसको उतारा, और बहुत स्वकुशल उतारकर विमान को जमीन पर खड़ा कर दिया| माने वो विमान टुटा नही, उसमे आग लगी नही उसके साथ कोई दुर्घटना हुई नही, वो उड़ा 1500 फिट तक गया फिर निचे कुशलता से उतरा और सारी भीड़ ने तलपडे जी को कंधे पर उठा लिया| महाराजा गायकोवाड जी ने उनके लिए इनाम की घोषणा की, एक जागीर उनके लिए घोषणा कर दी और गोविन्द रानाडे जी जो थे वहाँ पर उन्होंने घोषणा की, बड़े बड़े लोगों ने घोषनाये की|

तलपडे जी का यह कहना था की मैं ऐसे कई विमान बना सकता हूँ, मुझे पैसे की कुछ जरुरत है, आर्थिक रूप से मेरी अछि स्थिति नही है| तो लोगोने इतना पैसा इकठ्ठा करने की घोषनाये की के आगे उनको कोई जरुरत नही थी लेकिन तभी उनके साथ एक धोका हुआ| अंग्रेजो की एक कंपनी थी उसका नाम था ‘Ralli Brothers’ वो आयी तलपडे जी के पास और तलपडे जी को कहा यह जो विमान आपने बनाया है इसका ड्रइंग हमें दे दीजिये| तलपडे जी ने कहा की उसका कारण बताइए, तो उन्होंने कहा की हम आपकी मदद करना चाहते है, आपने यह जो अविष्कार किया है इसको सारी दुनिया के सामने लाना चाहते है, आपके पास पैसे की बहुत कमी है, हमारी कंपनी काफी पैसा इस काम मे लगा सकती है, लिहाजा हमारे साथ आप समझौता कर लीजिये, और इस विमान की डिजाईन दे दीजिये| तलपडे जी भोले भाले सीधे साधे आदमी थे तो वो मन गए और कंपनी के साथ उन्होंने एक समझौता कर लिया| उस समझोते मे Ralli Brothers जो कंपनी थी उसने विमान का जो मोडल था उनसे ले लिया, ड्रइंग ले ली और डिजाईन ले ली; और उसको ले कर यह कंपनी लन्दन चली गयी और लन्दन जाने के बाद उस समझोते को वो कंपनी भूल गयी| और वो ही ड्रइंग और वो डिजाईन फिर अमेरिका पहुंच गयी| फिर अमेरिका मे Wright Brothers के हाथ मे आ गयी फिर Wright Brothers ने वो विमान बनाके अपने नाम से सारी दुनिया मे रजिस्टर करा लिया|

तलपडे जी की गलती क्या थी के उनको चालाकी नही आती थी, ज्ञान तो बहुत था उनके पास| राजीव भाई कहते है के भारत मे सबसे बड़ी समस्या 12-15 साल मे उनको जो समझ मे आयी है के “हमको सब ज्ञान आती है, सब तकनीकी आती है, सब आती है पर चालाकी नही आती; एक गाना है ‘सब कुछ सीखा हमने न सीखी होशियारी’ यह भारतवासी पर बिलकुल फिट है, और यह अंग्रेजो को अमेरिकिओं को कुछ नही आता सिर्फ चालाकी आती है| उनके पास न ज्ञान है न उनके पास कोई आधार है उनको एक ही चीज आती है चालाकी और चालाकी मे वो नंबर 1 है| किसी का दुनिया मे कुछ भी नया मिले वो चालाकी करके अपने पास ले लो और अपने नाम से उसको प्रकाशित कर दो|”

शिवकर बापूजी तलपडे जी के द्वारा 1895 मे बनाया हुआ विमान सारी दुनिया के सामने अब यह घोषित करता है के विमान सबसे पहले अमेरिकी Wright Brothers ने बनाया और 1903 मे 17 दिसम्बर को उड़ाया पर इससे 8 साल पहले भारत मे विमान बन चुका था और देश के सामने वो दिखाया जा जुका था|

अब हमें इस बात के लिए लड़ाई करनी है अमेरिकिओं से और यूरोपियन लोगों से के यह तो हमारे नाम हि दर्ज होना चाहिए और Ralli Brothers कंपनी ने जो बईमानी और बदमाशी की थी समझोते के बाद उसका उस कंपनी को हरजाना देना चाहिए क्योकि समझौता करने के बाद बईमानी की थी उन्होंने|

राजीव भाई आगे कहते है Ralli Brothers कंपनी से धोखा खाने के कुछ दिन बाद तलपडे जी की मृत्यु हो गयी और उनकी मृत्यु के बाद सारी कहानी ख़तम हो गयी| उनकी तो मृत्यु के बारे मे भी शंका है कि उनकी हत्या की गयी और दर्ज कर दिया गया के उनकी मृत्यु हो गयी; और ऐसे व्यक्ति की हत्या करना बहुत स्वभाविक है के जिसका नाम दुनिया मे इतना बड़ा अविष्कार होने की संभावना हो| तो अगर हम फिर उस पुराने दस्तावेज खोले ढूंढें उस फाइल को, फिर से देखें तो पता चल जायेगा और दूध का दूध और पानी का पनी सारा सच दुनिया के सामने आ जायेगा|


आपने पूरी पोस्ट पढी इसलिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद्
वन्देमातरम
भारत माता की जय
अगर आज किसी को पूछा जाये कि सबसे पहला हवाई जाहाज किसने बनाया? तो ले देके एक नाम लेते है Wright Brothers ने बनाया और उनके नाम से दर्ज है यह अविष्कार| हम बचपन से यह पड़ते आये है कि 17 दिसम्बर सन 1903 को अमेरिका के कैरोलिना के समुद्रतट पर Wright Brothers ने पहला हवाई जाहाज बना कर उड़ाया जो 120 फिट उड़ा और गिर गया| और उसके बाद फिर आगे हवाई जाहाज की कहानी शुरू होती है|

पर अभी दस्तावेज मिले है और वो यह बताते है के 1903 से कई साल पहले सन 1895 मे हमारे देश के एक बहुत बड़े विमान वैज्ञानिक ने हवाई जाहाज बनाया और मुंबई के चौपाटी की समुद्रतट पर उड़ाया और वो 1500 फिट ऊपर उड़ा और उसके बाद नीचे गिर गया|

जिस भारतीय वैज्ञानिक ने यह करामात की उनका नाम था “शिवकर बापूजी तलपडे” वे मराठी व्यक्ति थे| मुंबई मे एक छोटा सा इलाका है जिसको चिर बाज़ार कहते है, उहाँ उनका जन्म हुआ और पढाई लिखाई की एक गुरु के सान्निध्य मे रहके संस्कृत साहित्य का अध्यन किया| अध्यन करते समय उनकी विमान शास्त्र मे रूचि पैदा हो गयी| और हमारे देश मे विमान शास्त्र के जो सबसे बड़े वैज्ञानिक माने जाते है वो “महर्षि भरद्वाज” | महर्षि भरद्वाज ने विमान शास्त्र की सबसे पहली पुस्तक लिखी, उस पुस्तक के आधार पर फिर सैंकड़ो पुस्तकें लिखी गयी| भारत मे जो पुस्तक उपलब्ध है उसमे सबसे पुराणी पुस्तक 1500 साल पुराणी है और महर्षि भरद्वाज तो उसके भी बहुत साल पहले हुए|

शिवकर बापूजी तलपडे जी के हाथ मे महर्षि भरद्वाज के विमान शास्त्र पुस्तक लग गयी और इस पुस्तक को आद्योपांत उन्होंने पड़ा| इस पुस्तक के बारे मे तलपडे जी ने कुछ रोचक बातें कहीं है जैसे –
>“इस पुस्तक के आठ अध्याय मे विमान बनाने की तकनीकी का ही वर्णन है”
>“आठ अध्याय मे 100 खंड है जिसमे विमान बनाने की टेक्नोलॉजी का वर्णन है”
>“महर्षि भरद्वाज ने अपनी पूरी पुस्तक मे विमान बनाने के 500 सिद्धांत लिखे है”
एक सिद्धांत (Principle) होता है जिसमे इंजन बन जाता है और पूरा विमान बन जाता है, ऐसे 500 सिद्धांत लिखे है महर्षि भरद्वाज ने माने 500 तरह के विमान बनाये जा सकते है हर एक सिद्धांत पर| इस पुस्तक के बारे मे तलपडे जी और लिखते है के –
>“इन 500 सिद्धांतो के 3000 श्लोक है विमान शास्त्र मे”
यह तो (Technology) तकनीकी होती है इसका एक (Process) प्रक्रिया होती है, और हर एक तकनीकी के एक विशेष प्रक्रिया होती है तो महर्षि भरद्वाज ने 32 प्रक्रियाओं का वर्णन किया है| माने 32 तरह से 500 किसम के विमान बनाए जा सकते है मतलब 32 तरीके है 500 तरह के विमान बनाने के; माने एक विमान बनाने के 32 तरीके, 2 विमान बनाने के 32 तरीके; 500 विमान बनाने के 32 तरीके उस पुस्तक ‘विमान शास्त्र’ मे है| 3000 श्लोक है 100 खंड है और 8 अध्याय है| आप सोचिये यह किनता बड़ा ग्रन्थ है!

इस ग्रन्थ को शिवकर बापूजी तलपडे जी ने पढा अपनी विद्यार्थी जीवन से, और पढ पढ कर परिक्षण किये, और परिक्षण करते करते 1895 मे वो सफल हो गए और उन्होंने पहला विमान बना लिया और उसको उड़ा कर भी दिखाया| इस परिक्षण को देखने के लिए भारत के बड़े बड़े लोग गए| हमारे देश के उस समय के एक बड़े व्यक्ति हुआ करते थे ‘महादेव गोविन्द रानाडे’ जो अंग्रेजी न्याय व्यवस्था मे जज की हैसियत से काम किया करते थे मुम्बई हाई कोर्ट मे, तो रानाडे जी गए उसको देखने के लिए| बड़ोदरा के एक बड़े राजा हुअ करते थे ‘गायकोवाड’ नाम के तो वो गए उसको देखने के लिए| ऐसे बहुत से लोगों के सामने और हजारो साधारण लोगों की उपस्थिति मे शिवकर बापूजी तलपडे ने अपना विमान उड़ाया| और हैरानी की बात यह थी उस विमान को उन्होंने उड़ाया उसमे खुद नही बैठे, बिना चालक के उड़ा दिया उसको| मने उस विमान को उड़ाया होगा पर कण्ट्रोल सिस्टम तलपडे जी के हाथ मे है और विमान हवा मे उड़ रहा है और यह घटना 1895 मे हुआ| और उस विमान को उड़ाते उड़ाते 1500 फिट तक वो लेके गए फिर उसके बाद उन्होंने उसको उतारा, और बहुत स्वकुशल उतारकर विमान को जमीन पर खड़ा कर दिया| माने वो विमान टुटा नही, उसमे आग लगी नही उसके साथ कोई दुर्घटना हुई नही, वो उड़ा 1500 फिट तक गया फिर निचे कुशलता से उतरा और सारी भीड़ ने तलपडे जी को कंधे पर उठा लिया| महाराजा गायकोवाड जी ने उनके लिए इनाम की घोषणा की, एक जागीर उनके लिए घोषणा कर दी और गोविन्द रानाडे जी जो थे वहाँ पर उन्होंने घोषणा की, बड़े बड़े लोगों ने घोषनाये की|

तलपडे जी का यह कहना था की मैं ऐसे कई विमान बना सकता हूँ, मुझे पैसे की कुछ जरुरत है, आर्थिक रूप से मेरी अछि स्थिति नही है| तो लोगोने इतना पैसा इकठ्ठा करने की घोषनाये की के आगे उनको कोई जरुरत नही थी लेकिन तभी उनके साथ एक धोका हुआ| अंग्रेजो की एक कंपनी थी उसका नाम था ‘Ralli Brothers’ वो आयी तलपडे जी के पास और तलपडे जी को कहा यह जो विमान आपने बनाया है इसका ड्रइंग हमें दे दीजिये| तलपडे जी ने कहा की उसका कारण बताइए, तो उन्होंने कहा की हम आपकी मदद करना चाहते है, आपने यह जो अविष्कार किया है इसको सारी दुनिया के सामने लाना चाहते है, आपके पास पैसे की बहुत कमी है, हमारी कंपनी काफी पैसा इस काम मे लगा सकती है, लिहाजा हमारे साथ आप समझौता कर लीजिये, और इस विमान की डिजाईन दे दीजिये| तलपडे जी भोले भाले सीधे साधे आदमी थे तो वो मन गए और कंपनी के साथ उन्होंने एक समझौता कर लिया| उस समझोते मे Ralli Brothers जो कंपनी थी उसने विमान का जो मोडल था उनसे ले लिया, ड्रइंग ले ली और डिजाईन ले ली; और उसको ले कर यह कंपनी लन्दन चली गयी और लन्दन जाने के बाद उस समझोते को वो कंपनी भूल गयी| और वो ही ड्रइंग और वो डिजाईन फिर अमेरिका पहुंच गयी| फिर अमेरिका मे Wright Brothers के हाथ मे आ गयी फिर Wright Brothers ने वो विमान बनाके अपने नाम से सारी दुनिया मे रजिस्टर करा लिया|

तलपडे जी की गलती क्या थी के उनको चालाकी नही आती थी, ज्ञान तो बहुत था उनके पास| राजीव भाई कहते है के भारत मे सबसे बड़ी समस्या 12-15 साल मे उनको जो समझ मे आयी है के “हमको सब ज्ञान आती है, सब तकनीकी आती है, सब आती है पर चालाकी नही आती; एक गाना है ‘सब कुछ सीखा हमने न सीखी होशियारी’ यह भारतवासी पर बिलकुल फिट है, और यह अंग्रेजो को अमेरिकिओं को कुछ नही आता सिर्फ चालाकी आती है| उनके पास न ज्ञान है न उनके पास कोई आधार है उनको एक ही चीज आती है चालाकी और चालाकी मे वो नंबर 1 है| किसी का दुनिया मे कुछ भी नया मिले वो चालाकी करके अपने पास ले लो और अपने नाम से उसको प्रकाशित कर दो|”

शिवकर बापूजी तलपडे जी के द्वारा 1895 मे बनाया हुआ विमान सारी दुनिया के सामने अब यह घोषित करता है के विमान सबसे पहले अमेरिकी Wright Brothers ने बनाया और 1903 मे 17 दिसम्बर को उड़ाया पर इससे 8 साल पहले भारत मे विमान बन चुका था और देश के सामने वो दिखाया जा जुका था|

अब हमें इस बात के लिए लड़ाई करनी है अमेरिकिओं से और यूरोपियन लोगों से के यह तो हमारे नाम हि दर्ज होना चाहिए और Ralli Brothers कंपनी ने जो बईमानी और बदमाशी की थी समझोते के बाद उसका उस कंपनी को हरजाना देना चाहिए क्योकि समझौता करने के बाद बईमानी की थी उन्होंने|

राजीव भाई आगे कहते है Ralli Brothers कंपनी से धोखा खाने के कुछ दिन बाद तलपडे जी की मृत्यु हो गयी और उनकी मृत्यु के बाद सारी कहानी ख़तम हो गयी| उनकी तो मृत्यु के बारे मे भी शंका है कि उनकी हत्या की गयी और दर्ज कर दिया गया के उनकी मृत्यु हो गयी; और ऐसे व्यक्ति की हत्या करना बहुत स्वभाविक है के जिसका नाम दुनिया मे इतना बड़ा अविष्कार होने की संभावना हो| तो अगर हम फिर उस पुराने दस्तावेज खोले ढूंढें उस फाइल को, फिर से देखें तो पता चल जायेगा और दूध का दूध और पानी का पनी सारा सच दुनिया के सामने आ जायेगा|

अधिक जानकारी के लिए यहाँ Click करें:
http:// www.youtube.com/watch?v=AA6Mdy2dEQw

आपने पूरी पोस्ट पढी इसलिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद्
वन्देमातरम
भारत माता की जय
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Friday 7 February 2014

TCS


National Conference on Emerging Trends in Engineering & Technology

National Conference on Emerging Trends in Engineering & Technology (NCETET-2014)

March 30, 2014

 Shri Ummed Singh Bhati College of Engineering and Management, Abu Road , Rajasthan, India.


================================================= 
 Dear Sir/Madam,
                  We are delighted to invite you to participate in National Conference on Emerging Trends in Engineering & Technology (NCETET-2014) at Shri   Ummed  Singh Bhati College of  Engineering and Management, Abu Road, Rajasthan, India. 

 National Conference on Emerging Trends in Engineering & Technology (NCETET-2014) will bring together innovative academics and industrial  experts to a common forum. The primary goal of the conference is to promote research and developmental activities and to promote scientific information  interchange between researchers, developers, students, and practitioners working in and around the world.The conference includes paper presentations  from the international community of authors, including presentations from keynote speakers and state-of-the-art lectures.  

About Shri USB Group of Colleges:
Shri USB Group of Colleges, established by USB Shikshan Sanstha in year 2004 has now become best destination for Education in Rajasthan. During its journey of 10 years USB Group has developed 17 institutions of repute and has grown to the size of 8000 students. SUSB institutions are known for excellent placements, consistent university results & 360 degree development of students. It is not merely a dream, it has already transformed into a reality. There are many factors that have contributed towards achieving this goal in education system which fosters quality, excellence and innovation.

Courses Offered:
·         B.TECH
·         POLYTECHNIC
·         B.ED
·         PHYSIOTHERAPY
·         B.SC NURSING
·         D. PHARMACY

 
Shri Ummed Singh Bhati College of Engineering and Management is affiliated by Rajasthan Technical University and approved by All India Council for Technical Education.  We are located at a distance of 20 kms from well known hill-station Mount Abu and 15 kms from Ambaji Temple Gujarat.

Mission:
At USB Engineering College and Management, the mission is to deliver the highest quality engineering graduates, cutting-edge research and innovative technology for the benefit of society locally and globally." To make incessant endeavour to translate our vision into a reality and achieve the following objectives:
·         To create world class facilities and ambiance for advance level of teaching and practical training.
·         To develop students as global citizens with conscience, commitment and dedication.
·         To continuously grow and become fountain head among institutes of technical education in India.

Vision:
To serve the society and improve the quality of life by imparting high quality education in professional education, providing training and development services, fostering research, giving consultancy services to industry and disseminating knowledge through the publication of the Books, Journals and Magazines. To emerge as the most preferred educational group with global recognition developing competent & socially sensitive leaders committed to excellence.

Call for Papers: The authors can submit their original work on any of the themes of their interest. Authors should submit electronically full paper in MS WORD document, 5 pages (2000 – 2200 words maximum)
The submission system is accessible through the following online link:
·  Submission of Manuscripts can also be done by email at ncetet@usbeducation.orgncetet2014@gmail.com (.doc)

Keynote Speakers:
(1) Prof. Ravindra Arora
Department of Electrical Engineering
Indian Institute of Technology, Jodhpur, Rajasthan (IIT Jodhpur)

(2) Dr. Nihar Ranjan Mohapatra
Department of Department of Electrical Engineering
Indian Institute of Technology, Gandhinagar, Gujarat (IIT Gandhinagar)



(3) Dr. Arvind Kumar Verma
Department of Production and Industrial Engineering
MBM Engineering College, Jodhpur, Rajasthan.


(4) Dr. SBL Sachan
Department of Electronics & Communication Engineering
NITTTR, Chandigarh.
Important Dates:
 
 Full Paper Submission deadline 
 February 24, 2014
 Notification of acceptance
 March 03, 2014
 Payment of Registration fee deadline
 March 07, 2014
 NCETET 2014 Conference Date
 March 30, 2014

 Registration Fees Structure:

Registration Type
INR
Students (U.G.)
500
Faculty/Scientists
800
Virtual-Presentation
1000
Industry & others
1100

Conference Publication:
                                  All registered papers and proceedings of NCETET-2014 will be published with ISBN Number. 
● Best articles will be published by Bonfring International Journals & indexed in Google Scholar, Cross Ref, DOAJ, CiteSeerX, Index Copernicus, Docstoc, ProQuest, Citeulike, Scribd, Research Bible etc..
● Abstract proceedings of NCETET-2014 will be indexed in Bonfring Digital Library.

Virtual-Presentation:
We understand that some presenters will be unable to make the trip present their paper, mainly due to financial and/or political restrictions on travel. NCETET 2014 has therefore instituted a virtual presentation system to allow the authors of accepted proposals the same publication opportunities as regular presenters.
You can submit a proposal to us through Email at ncetet@usbeducation.org for virtual presentation.
If your proposal is accepted you will be invited to register for the conference as a virtual presenter. Upon payment of the registration fee your paper will be listed as a regular presentation. If you wish your paper to be published in the conference proceedings, please ensure that a paper is uploaded through any of submission method.
We do not allow presentations by video-conferencing but virtual presenters are encouraged to email us video of their presentation and power point presentations, we will upload video to NCETET 2014 YouTube conference channel.Videos should be sent at least one prior to the event to ensure that they can be uploaded in time.PowerPoint Presentations should contain no more than 10 slides to be effective.

A "Best Paper Award" will be conferred to the author(s) of a full paper presented at the conference, selected by the Program/Conference Chairs based on the best combined marks of paper reviewing, assessed by the Program Committee, and paper presentation quality, assessed by session chairs at the conference venue.

Mount Abu: Mount Abu is home to a number of tourist attractions from natural beauty to historical and architectural places, The Dilwara Jain temples are a complex of temples, carved of white marble, that were built between the 11th and 13th centuries AD. The historical Achalgarh fort, built in the 14th century by Rana Kumbha of Mewar. It encloses several beautiful Jain temples, including the Achaleswar Mahadev Temple (1412) and the Kantinath Temple (1513).Heart of the city Nakki Lake, is another popular visitor attraction of Mount Abu. There is the Toad Rock on a hill near the lake. Raghunath Temple and Maharaja Jaipur Palace are also on hills near Nakki Lake.

The mountain is also home to several Hindu temples, including the Adhar Devi Temple, carved out of solid rock; the Shri Raghunathji Temple; and a shrine and temple to Dattatreya built atop the Guru Shikhar peak. The world headquarters of the Brahma Kumari order of lady renunciates is also located here, as is the World Spiritual University of the same denomination. There is also believed to be a footprint of Vishnu on top of Mount Abu. The Durga temple, Ambika Mata Temple lies in a cleft of rock in Jagat, just outside of Mount Abu.Mount Abu is also a perfect place to enjoy adventure and eco-tourism.

Ambaji Temple Gujarat:

The beautiful huge temple made up of white marble exhibits a profound architecture.
The Temple is considered One of the 51 Shaktipheets and is one of the famous temple in North India. According to ancient scriptures the heart of the Mata Sati fell on the earth here. Millions of devotees visit Ambaji temple every year especially on Purnima (full moon) days and during nine days of Navaratri.
Nearby the temple abut 4 kms away, on the top of a rocky mountain is the original seat of Godess Ambaji  called Gabbar. According to a legend Lord Krishna in his childhood was bought by his parents Shree Nandlalji and Devi Yashoda for the ritual ceremony of hair removing Mundan. Even Ramayana has a legend, while searching Sitaji, Lord Rama and Laxman came to the ashram of Shrungi Rushi. On his advice, they worshiped Devi Amba at Gabbar Hill and Devi belssed him with a miraculous arrow namely "AJAY" with the help of it Lord Rama defeted and conquered Ravan.

The details of Conference Theme, Speakers, Advisory Board and Organizing Committee can be accessed through the attached conference brochure. 

We seek active participation in terms of quality research papers in the conference. Please feel free to ask any query. 

Please find enclosed conference brochure.

Warm Regards,
Conference Coordinator NCETET-2014
Mohit Arora (Head R&D Department & TPO)
Contact Number:- 08852000707, 02974-294753
Shri Ummed Singh Bhati College of Engineering and Management, 
Abu Road, Rajasthan, India.

Stay Update about all NCETET-2014 News

Sunday 2 February 2014

Open Campus at Panipat.

NOTICE
Subject: POOL CAMPUS DRIVE "AMEX" 
Recruitment Drive Date: 5th  Feb, 2014 (Wednesday)
Time: 9:30 AM
Venue: Geeta Engineering College, NH- 71 A, Naultha, Gohana Road, Panipat.
Position: Business Development Executives for American Express
Job Description:Marketing Sales(AMEX corporate personal credit cards)
Eligibility Criteria: MBA
Salary:  24-27k CTC
Location: Gurgoan
Recruitment Process:   a) Written Round
                                       b) GD
                                       c) PI
                                       d) Negotiation Round
Documents required:    a) 2 set Copy of Updated Resume
                                       b) Copies of all Educational Certificates
                                       c) Experience letter(if any)
                                       d) Any ID Proof

Note: All Students are advised to attend the interview in Formal Attire. This is a pool campus recruitment drive. Students from other colleges can also participate. There are no registration charges. Participation is absolutely FREE.For online registration visit link http://geeta.edu.in/registration-form.html
college website:- www.geeta.edu.in
For any query
Contact@ +91-9034143800 ,+91-90340808088.

Placement Cell Guide for 6th SEM students

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